परशुराम दल की आवश्यकता क्यों ?

देश मे ब्राह्मणों के लिए परशुराम दल क्यों आवश्यक हैं ?

पिछले कुछ वर्षों से पूरे देश में एक षडयन्त्र के तहत कुछ दुष्प्रचारियों द्वारा एक मिथक फैलाया जा रहा है जिसमें ब्राह्मणों को हर प्रकार से नीचा दिखाने की असफल कोशिश की जा रही है। कुछ विकृत मानसिकता वालों द्वारा प्रापेगेंडा के तहत भ्रामक मुहिम चलाई जा रही जिसमें ब्राह्मणों की छवि को धूमिल ही नहीं बल्कि दूषित करने का भी प्रयास किया जा रहा है। इन समाजकंटकों द्वारा ब्राह्मणों के खिलाफ शोशल मीडिया पर लगातार गलत एवं तथ्यहीन पोस्टें डालकर जहर उगला जा रहा है। हमारे विरूद्ध अनर्गल प्रलाप करते हुए अभद्र टिप्पणियां की जाती हैं। यहां तक कि पिछले दिनों हमें सरेआम विदेशी बोलकर देश के कुछ हिस्सों में ब्राह्मण देश छोडो जैसे बेशर्मी भरे वाक्य दीवारों पर लिखे गए।

  • ना सिर्फ शोशल मीडिया पर बल्कि धरातल पर भी हमारे एकल परिवार तथा अल्पसंख्या में निवास कर रहे ब्राह्मणों को भिन्न-भिन्न तरीके से शोषित किया जा रहा है, उनकी आवाज को दबाया जा रहा है उनके धार्मिक कार्यों व लिवास पर चुटकियां ली जाती हैं। यहां तक कि इनकी बहन बेटियों को अपमानित करते हुए बुरी नीयत से उन्हें अपहरण तक कर लिया जाता है, जिसके चलते ये विप्र परिवार उन स्थानों से पलायन पर मजबूर हो रहे हैं।
  • स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि ब्राह्मण समाज के हमारे बन्धु-बान्धव कुछ स्थानों पर जहां वे अल्पसंख्यक हैं वहां के स्कूल, कॉलेज व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर वो अपना सरनेम तक छुपाने लगे हैं कहीं उन्हें ब्राह्मण होने की वजह से तंग ना किया जाने लगे। इससे बदतर और क्या होंगा ब्राह्मणों को झूठे मुकदमों में फसाकर उनका मानसिक व शारीरिक दोहन किया जाता है। मन्दिरों, आश्रमों, पुजारियों, कथवाचकों तथा हमारे संतों तक को झूठे अरोपों व विवादों में घसीटा जा रहा है।
  • कुछ क्षेत्रीय कथित नेता अपनी अभद्र टिप्पणियों से पूरे विप्र समाज को अपनानित करने का कार्य करते ही रहते हैं। गत दिनों से इस प्रकार की घटनाएं अधिक सुनने का मिली हैं।
  • हमारे कश्मीरी पण्डितों का हाल किसी से छुपा नहीं है। किस प्रकार से उन्होंने यातनाएं झेली हैं, हिंसा के शिकार हुए रातों रात घरों से बेघर कर दिये गए जो अभी तक इंसाफ व अपने हकों की मांग कर रहे हैं।
  • पूरे देश में ब्राह्मण युवा प्रतिभाशाली होते हुए भी बेरोजगार हैं, शिक्षा प्राप्त करने तथा सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म तक भरने में हमें अन्य के मुकाबले अधिक फीस का भुगतान करना होता है। कब-तक हम यह सबकुछ सहते रहेंगे।
  • हमारे विप्र महापुरूषों ने सर्वजनहिताय की नीति का अनुसरण करते हुए सर्वसमाज के लिए अनेक कल्याणकारी संगठन गठित किए परन्तु ब्राह्मणों के कल्याण के लिए कोई सक्रिय दल का संयोजन नहीं किया क्यों, क्योंकि वे सर्वसमाज का कल्याण चाहते थे। उन्हें भविष्य के गर्भ का पता नहीं था उन्हे तो अंदेशा तक नहीं था कि आगे चलकर कुछ समाजविध्वंसक लोग सिर्फ ब्राह्मणों के खिलाफ ही दुष्प्रचार करते हुए उन्हें अपमानित करने का कार्य करेंगे।
  • देश में ना जाने कितने विप्र परिवारों द्वारा समाजकंटकों के दंश को झेला जा रहा है, लेकिन कहें तो किससे कहें, कौन उनके दर्द को सुनेगा कौन उनकी पीडा को समझेगा कौन उनके अपमान का प्रतिशोध लेगा। ये तमाम वजह हैं जिस कारण से देश में ब्राह्मणों को एक मजबूत राष्ट्रीय संगठन की जरूरत है जो शठे शाठ्यम समाचरेत नीति के तहत कार्य करते हुए हमारा सहायक बने, जो हमारे लिए आन्दोलन करे, जो धरातल पर डटकर मुकाबला करते हुए ब्राह्मणों को उनका हक दिलाने में दृढता से उनके साथ खडा रहे।

पिछले 2 वर्षों से इसी क्रम में हमारी टीम के युवा सदस्य देश के कोने-कोने में गए। वहां की सम्मानित ब्राह्मण सभाओं से मिले संस्थाओं के अध्यक्षों से इस बारे में विचार विमर्श किया। इसके अलावा देश में संचालित अन्य क्षेत्रीय ब्राह्मण संगठनों के प्रमुखों से भी मार्गदर्शन प्राप्त किया। देश के विप्र प्रबुद्धजनों से भी उनका अनुभव संचय किया। सभी के एकमत से सहमति व आशीर्वाद मिला। पूरे देश में इस विप्र एकता व ब्राह्मण युवाओं का जज्बा देखकर निर्णय लिया कि इस दल का गठन अति आवश्यक है। परशुराम दल के गठन को लेकर विशेषकर देश का ब्राह्मण युवा बेहद उत्साहित है।

अब समय आ गया है जागने का, संगठित होकर अपना पुरषार्थ व बल एवं बुद्धि कौशल दिखाने का विश्व की कोई ताकत अब हमें अपनी श्रेष्ठता से वंचित नहीं कर सकती, हर विप्र परिवार के युवाओं, बहनों माताओं व बुजुर्गों को इस दल से जुडकर अपनी विस्मृत हुई वर्चस्वता को पुनः जीवंत करना है। ये दल नहीं ब्राह्मणों का परिवार है इस ध्येय के साथ हमें इस विप्र परिवार को विस्तार देना है।

।।जय भगवान परशुराम।।