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परशुराम दल

(रजिस्टर्ड राष्ट्रीय ब्राह्मण संगठन एवं ब्राह्मणों की निर्भीक सेना)

पृष्ठभूमि (ब्राह्मण महिमा): सनातन हिन्दु धर्म के ध्वजावाहक एवं विश्व की पुरातन संस्कृति एवं सभ्यता के जनक युगदृष्टा, बृह्मवेत्ता मार्गदर्शक ब्राह्मण आदिकाल से राजसत्ता व धर्मसत्ता के प्रमुख एव मर्मज्ञ रहते हुए सभी वर्गों में अग्रणी रहे हैं। ब्रा्ह्मणों ने वेदवेदान्तों के रहस्य को स्वयं में आत्मसात करते हुए हर युग में सर्वसमाज का कल्याण किया है। यह वर्ग आरंम्भिक काल से लेकर अब तक ज्ञान, विज्ञान, युद्ध एवं कला साहित्य जैसे सभी क्षेत्रों में अपने कौशल से श्रेष्ठ रहा है। हमारे पूर्वजों ने समाज कल्याण के लिए अपने प्राणों तक का उत्सर्ग किया है, त्याग, तप और तेज हमारी पहचान रही है।

  • भगवान परशुराम जी का तेज, महर्षि दधीचि का त्याग, गुरू द्रोणाचार्य का रण-कौशल, वैद्य धनवन्तरि एवं महर्षि चरक का औषध ज्ञान, चाणक्य की नीति जैसे महानता के कार्य किसी से छुपे नहीं हैं। इसी कडी में यदि समस्त ब्राह्मण शिरोमणियों की गाथाओं का यशगान किया जाए तो उल्लेख के लिए स्थान कम पड जाएगा।
  • इस कलिकाल में भी विप्रमहापुरूषों ने ना केवल भारतवर्ष को बल्कि पूरे विश्व को अपने ज्ञान से मार्गदर्शित किया है, गोस्वामी तुलसीदास जी को साक्षात भगवान श्रीराम ने दर्शन देते हुए रामचरित मानस की रचना के लिए प्रेरित किया। श्रीधाम वृन्दावन में विप्र परमहंश स्वामी श्री हरिदाश की मानस संतान के रूप में भगवान आज भी विराजमान हैं। दक्षिण भारत के विप्र संत रामानन्द की सगुण भक्ति सर्वव्यापी है। यही कारण है कि ब्राह्मण को जगद्गुरू की उपमा से अलंकृत किया गया है। आज भी विप्र समाज के धर्मगुरू एवं कथाप्रवक्ताओं ने अपने विद्वता भरे प्रवचनों से हिन्दुत्व को जागृत करने के लिए सनातन की धर्म ध्वजा को थाम रखा है।
  • हर युग में विप्रबल का वर्चश्व रहा है, मुगलों व पुर्तगालियों से लोहा लेने वाले अदम्य साहस के धनी मराठा ब्राह्मण वीर बाजीराव पेशवा के शौर्य को कौन नहीं जानता। स्वतन्त्रता संग्राम में भी विप्रगौरवों के योगदान को भुलाया नही जा सकता। देश को आजाद करने में ब्राह्मण अग्रणी रहे हैं। स्वतंन्त्रता सैनानी बाल गंगाधर तिलक व गोखले की क्रान्तिकारी विचारधारा से कोई अछूता नहीं है। सन् 1857 में क्रान्ति का बिगुल भी हमारे विप्र गौरव मंगलपाण्डेय द्वारा फूंका गया। महारानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, रामप्रशाद बिस्मिल व राजगुरू सहित अनेक हुतात्माओं ने अपने प्राणों का बलिदान देकर राष्ट्र की रक्षा करते हुए हमें स्वाधीनता दिलाई है। स्वतन्त्रता की हर क्रान्तिज्वाला में हमारे विप्र गौरव आगे रहे हैं युवाओं के प्रेरणाश्रोत महानक्रान्तिकारी पण्डित चन्द्रशेखर आजाद आज भी देश के हर युवा की धडकन हैं। देश को वन्दे मातरम् जैसा नारा देने वाले व राष्ट्रगीत के जनक बंकिमचन्द्र चटर्जी भी ब्राह्मणों की शान थे।
  • हमारी महानविभूतियों ने स्वयं के समुदाय की उन्नति की परवाह ना करते हुए समदर्शी रूप दिखाया है व सर्वसमाज के कल्याण हेतु अनेक कार्य किए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में पंण्डित मदनमोहन मालवीय द्वारा बनारस हिन्दुविश्वविद्यालय की स्थापना हो या फिर पण्डित दीनदयाल उपाध्याय एवं श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा जनसंघ की स्थापना हो। श्री केशव बलराम हेडगेवार द्वारा राष्ट्रकल्याण के लिए कट्टर हिन्दुवादी संगठन आर.एस.एस. का संयोजन जो आज भी विश्व में हिन्दुत्व की मशाल थामे हुए है इसके अलावा विश्व हिन्दु परिषद व अन्य प्रमुख सनातन संगठनों की गठन समितियों के मुखिया भी ब्राह्मण ही रहे हैं। यहां तक कि आधुनिक राजनीति के प्रमुख दलों के आदर्श राजनेता श्री अटलबिहारी वाजपेयी तथा पण्डित नेहरू एवं शास्त्री जी सहित अन्य दलों के प्रमुख राजनेता भी ब्राह्मण भूषण ही रहे हैं।
  • देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित नेहरू से लेकर शास्त्री जी, पीवी नरसिम्हा राव, मोरारजी देसाई तथा अटल विहारी वाजपेयी सहित आधा दर्जन ब्राह्मण शिरोमणियों ने देश की बागडोर संभाली है। वहीं विप्रगौरव डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, वेंकट गिरी, आर. वेंकटरमन, शंकरदयाल शर्मा एवं प्रणव मुखर्जी सहित 6 ब्राह्ण विभूतियों ने देश के सर्वोच्च पद (राष्ट्रपति पद) को शुसोभिति किया है। देश के प्रथम कानून मंत्री एवं दलितों के मसीहा डा0 भीमराव अम्बेडकर के गुरू भी ब्राह्मण ही थे। इस प्रकार देश के राजनीतिज्ञ, शिक्षाविज्ञ, समाजसुधारक एवं देशभक्तों तथा बलिदानियों की चर्चा जहां भी होगी वहां ब्राह्मणों का योगदान अग्रिम पंक्ति में रहेगा। देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न विभूतियों में सर्वाधिक नाम/वर्चश्व ब्राह्मणों का ही रहा है। हमारे पूर्वज महान गणतज्ञ आर्यभट्ट ने ही पूरे विश्व को सांख्यकी शून्य दिया।
  • गत दशक में भी देश के हर क्षेत्र में जैसे रक्षा, विज्ञान, कला-साहित्य, संगीत तथा खेल जैसे राष्ट्रीय मामलों में हमारे विप्र सैन्य अधिकारी, वैज्ञानिकों, अभिनयकर्ताओं एवं खिलाडियों ने सभी महत्वपूर्ण अभियानों एवं प्रतियोगिताओं की अगुवाई व विजयी नेतृत्व करते हुए ब्राह्मणवर्चश्व के साथ-साथ देश का गौरव भी बढाया है।
  • यहां तक की सन् 1999 के कारगिल युद्ध की रणभूमि में दुश्मन के जबडे से जीत को छीनकर लाने में अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले शौर्य के प्रतीक शहीद मनोज पाण्डेय को ही भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च वीरता पुरूष्कार परमवीरचक्र से सम्मानित किया गया। आज भी हमारे युवाओं ने सरकारी, गैर सरकारी तथा अन्य निजी संस्थानों मे अपने बुद्धि-बल परिचय देते हुए यहां के उच्च पदों को शुसोभित किया हुआ है।

ब्राह्मण हमेशा से श्रेष्ठ रहा है व हर युग में समय-समय पर अपने बल व पौरूष से प्रत्येक क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करता रहा है। आधुनिक भाषा में कहें तो ब्राह्मण एक जाति ही नही बल्कि एक ब्राण्ड है और ब्राण्ड की चमक कभी कम नहीं होती इसी प्रकार ब्राह्मणों का तेज व बल कभी कम नहीं हो सकता वह हर चुनौती को स्वीकार करते हुए उसका मजबूत हल की क्षमता रखता है।  

जब तक धरणी आकाश कला ब्राह्मण की कभी घटे ना, अर्थात जब तक पृथ्वी व आकाश रहेंगे तबतक तप, तेज, शक्ति, बल व साहस व जैसी कला ब्राह्मण वे विद्यमान रहेंगी। और हर युग में विप्र-यश की पताका शिखर पर रहेगी।

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